प्राणायाम के लाभ

  1. प्राणायाम में गहरे श्वास लेने से फेफड़ों के बंद छिद्र खुल जाते हैं तथा रोग प्रतिकारक शक्ति बढ़ती है। इससे रक्त, नाड़ियों एवं मन भी शुद्ध होता है।

  2. त्रिकाल संध्या के समय सतत चालीस दिन तक 10-10 प्राणायाम के लाभ प्राणायाम करने से प्रसन्नता, आरोग्यता बढ़ती है एवं स्मरणशक्ति का भी विकास होता है।

  3. प्राणायाम करने से पाप कटते हैं। जैसे मेहनत करने से कंगाली नहीं रहती है, ऐसे ही प्राणायाम करने से पाप नहीं रहते हैं।

प्राणायाम में श्वास को लेने का, अंदर रोकने का, छोड़ने का और बाहर रोकने के समय का प्रमाण क्रमशः इस प्रकार हैः प्राणायाम के लाभ अर्थात यदि 5 सैकेण्ड श्वास लेने में लगायें तो 20 सैकेण्ड रोकें और 10 सैकेण्ड उसे छोड़ने में लगाएं तथा 10 सैकेण्ड बाहर रोकें यह आदर्श अनुपात है। प्राणायाम के लाभ धीरे-धीरे नियमित अभ्यास द्वारा इस स्थिति को प्राप्त किया जा सकता है।

प्राणायाम के कुछ प्रमुख अंगः

  1. रेचकः अर्थात श्वास को बाहर छोड़ना।

  2. पूरकः अर्थात श्वास को भीतर लेना।

  3. कुंभकः अर्थात श्वास को रोकना। श्वास को भीतर रोकने कि क्रिया को आंतर कुंभक तथा बाहर रोकने की क्रिया को बहिर्कुंभक कहते हैं।

विद्यार्थियों के लिए अन्य उपयोगी प्राणायाम

  1. अनलोम-विलोम प्राणायामः इस प्राणायाम में सर्वप्रथम दोनों नथुनों से पूरा श्वास बाहर निकाल दें। इसके बाद दाहिने हाथ के अँगूठे से नाक के दाहिने नथुने को बन्द करके बाँए नथुने से सुखपूर्वक दीर्घ श्वास लें। अब यथाशक्ति श्वास को रोके रखें। फिर बाँए नथुने को मध्यमा अँगुली से बन्द करके श्वास को दाहिने नथुने से धीरे-धीरे छोड़ें। इस प्रकार श्वास के पूरा बाहर निकाल दें और फिर दोनों नथुनों को बन्द करके श्वास को बाहर ही सुखपूर्वक कुछ देर तक रोके रखें। अब पुनः दाहिने नथुने से श्वास लें और फिर थोड़े समय तक रोककर बाँए नथुने से श्वास धीरे-धीरे छोड़ें। पूरा श्वास बाहर निकल जाने के बाद कुछ समय तक रोके रखें। यह एक प्राणायाम हुआ।

  2. ऊर्जायी प्राणायामः इसको करने से हमें विशेष ऊर्जा (शक्ति) मिलती है, इसलिए इसे ऊर्जायी प्राणायाम कहते हैं। इसकी विधि हैः

पद्मासन या सुखासन में बैठ कर गुदा का संकोचन करके मूलबंध लगाएं। फिर नथुनों, कंठ और छाती पर श्वास लेने का प्रभाव पड़े उस रीति से जल्दी श्वास लें। अब नथुनों को खुला रखकर संभव हो सके उतने गहरे श्वास लेकर नाभि तक के प्रदेश को श्वास से भर दें। इसके बाद एकाध मिनट कुंभक करके बाँयें नथुने से श्वास धीरे-धीरे छोड़ें। ऐसे दस ऊर्जायी प्राणायाम करें। प्राणायाम के लाभ इससे पेट का शूल, वीर्यविकार, स्वप्नदोष, प्रदर रोग जैसे धातु संबंधी रोग मिटते हैं।

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