हमारे ऋषि मुनियों ने ब्रह्म मुहूर्त का विशेष महत्व बताया है। ऋषियो के अनुसार यह समय निद्रा त्याग के लिए सर्वोत्तम है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने से सौंदर्य, बल, विद्या, बुद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। सूर्योदय से चार घड़ी (लगभग डेढ़ घण्टे) पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में ही जग जाना चाहिये। इस समय सोना शास्त्र निषिद्ध है।

जानिये ब्रह्ममुहूर्त में उठने की परंपरा क्यों ?

कराग्रे वसते लक्ष्मी: कर मध्ये सरस्वती।करमूले गोविन्दाय, प्रभाते कर दर्शनम्।।

करारविन्देन पदारविन्दं, मुखारविन्दे विनिवेशयन्तम्।

हमारे ऋषि मुनियों ने ब्रह्म मुहूर्त का विशेष महत्व बताया है। ऋषियो के अनुसार यह समय निद्रा त्याग के लिए सर्वोत्तम है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने से सौंदर्य, बल, विद्या, बुद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।ब्रह्ममुहूर्त में उठने की परंपरा  सूर्योदय से चार घड़ी (लगभग डेढ़ घण्टे) पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में ही जग जाना चाहिये। इस समय सोना शास्त्र निषिद्ध है।
ब्रह्म मुहूर्त यानी अनुकूल समय। रात्रि का अंतिम प्रहर अर्थात प्रात: 4 से 5.30 बजे का समय ब्रह्म मुहूर्त कहा गया है।

“ब्रह्ममुहूर्ते या निद्रा सा पुण्यक्षयकारिणी”।

ब्रह्ममुहूर्त की निद्रा पुण्य का नाश करने वाली होती है। ब्रह्ममुहूर्त में उठने की परंपरा ईश्वर भक्ति के लिए यह यह सर्वश्रेष्ठ समय है। इस समय उठने से मनुष्य को सौंदर्य, लक्ष्मी, बुद्धि, स्वास्थ्य आदि की प्राप्ति होती है। उसका मन शांत और तन पवित्र होता है।
ब्रह्म मुहूर्त में उठना हमारे जीवन के लिए बहुत लाभकारी है। इससे हमारा शरीर स्वस्थ होता है और दिनभर स्फूर्ति बनी रहती है। स्वस्थ रहने और सफल होने का यह ऐसा फार्मूला है जिसमें खर्च कुछ नहीं होता। केवल आलस्य छोड़ने की जरूरत है। शास्त्रों में भी इसका उल्लेख है-

वर्णं कीर्तिं मतिं लक्ष्मीं स्वास्थ्यमायुश्च विदन्ति।

ब्राह्मे मुहूर्ते संजाग्रच्छि वा पंकज यथा॥

ब्रह्म मुहूर्त में उठने से व्यक्ति को सुंदरता, लक्ष्मी, बुद्धि, स्वास्थ्य, आयु आदि की प्राप्ति होती है।
वेदों में भी ब्रह्म मुहूर्त में उठने का महत्व और उससे होने वाले लाभ का उल्लेख किया गया है।:-

प्रातारत्नं प्रातरिष्वा दधाति तं चिकित्वा प्रतिगृह्यनिधत्तो। तेन प्रजां वर्धयमान आयू रायस्पोषेण सचेत सुवीर:॥

सुबह सूर्य उदय होने से पहले उठने वाले व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। इसीलिए बुद्धिमान लोग इस समय को व्यर्थ नहीं गंवाते। सुबह जल्दी उठने वाला व्यक्ति स्वस्थ, सुखी, ताकतवाला और दीर्घायु होता है।
यद्य सूर उदितोऽनागा मित्रोऽर्यमा। ब्रह्ममुहूर्त में उठने की परंपरा सुवाति सविता भग:॥
व्यक्ति को सुबह सूर्योदय से पहले शौच एवं स्नान कर लेना चाहिए। इसके बाद भगवान की उपासना करना चाहिए। इस समय की शुद्ध एवं निर्मल हवा से स्वास्थ्य और संपत्ति की वृद्धि होती है।

उद्यन्त्सूर्यं इव सुप्तानां द्विषतां वर्च आददे।

अगर सूरज उगने के बाद भी जो नहीं उठते या जागते तो उनका तेज खत्म हो जाता है।

Add comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

15 + four =