प्राणायाम के लाभ
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प्राणायाम में गहरे श्वास लेने से फेफड़ों के बंद छिद्र खुल जाते हैं तथा रोग प्रतिकारक शक्ति बढ़ती है। इससे रक्त, नाड़ियों एवं मन भी शुद्ध होता है।
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त्रिकाल संध्या के समय सतत चालीस दिन तक 10-10 प्राणायाम के लाभ प्राणायाम करने से प्रसन्नता, आरोग्यता बढ़ती है एवं स्मरणशक्ति का भी विकास होता है।
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प्राणायाम करने से पाप कटते हैं। जैसे मेहनत करने से कंगाली नहीं रहती है, ऐसे ही प्राणायाम करने से पाप नहीं रहते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए प्राणायाम में श्वास को लेने का, अंदर रोकने का, छोड़ने का और बाहर रोकने के समय का प्रमाण क्रमशः इस प्रकार हैः प्राणायाम के लाभ अर्थात यदि 5 सैकेण्ड श्वास लेने में लगायें तो 20 सैकेण्ड रोकें और 10 सैकेण्ड उसे छोड़ने में लगाएं तथा 10 सैकेण्ड बाहर रोकें यह आदर्श अनुपात है। स्वास्थ्य के लिए योग प्राणायाम के लाभ धीरे-धीरे नियमित अभ्यास द्वारा इस स्थिति को प्राप्त किया जा सकता है।
प्राणायाम के कुछ प्रमुख अंगः-
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रेचकः अर्थात श्वास को बाहर छोड़ना।
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पूरकः अर्थात श्वास को भीतर लेना।
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कुंभकः अर्थात श्वास को रोकना। श्वास को भीतर रोकने कि क्रिया को आंतर कुंभक तथा बाहर रोकने की क्रिया को बहिर्कुंभक कहते हैं।
विद्यार्थियों के लिए अन्य उपयोगी प्राणायाम:-
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अनलोम-विलोम प्राणायामः इस प्राणायाम में सर्वप्रथम दोनों नथुनों से पूरा श्वास बाहर निकाल दें। इसके बाद दाहिने हाथ के अँगूठे से नाक के दाहिने नथुने को बन्द करके बाँए नथुने से सुखपूर्वक दीर्घ श्वास लें। अब यथाशक्ति श्वास को रोके रखें। फिर बाँए नथुने को मध्यमा अँगुली से बन्द करके श्वास को दाहिने नथुने से धीरे-धीरे छोड़ें। इस प्रकार श्वास के पूरा बाहर निकाल दें और फिर दोनों नथुनों को बन्द करके श्वास को बाहर ही सुखपूर्वक कुछ देर तक रोके रखें। अब पुनः दाहिने नथुने से श्वास लें और फिर थोड़े समय तक रोककर बाँए नथुने से श्वास धीरे-धीरे छोड़ें। पूरा श्वास बाहर निकल जाने के बाद कुछ समय तक रोके रखें। यह एक प्राणायाम हुआ।
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ऊर्जायी प्राणायामः योग और प्राणायाम इसको करने से हमें विशेष ऊर्जा (शक्ति) मिलती है, इसलिए इसे ऊर्जायी प्राणायाम कहते हैं। इसकी विधि हैः
पद्मासन या सुखासन में बैठ कर गुदा का संकोचन करके मूलबंध लगाएं। फिर नथुनों, कंठ और छाती पर श्वास लेने का प्रभाव पड़े उस रीति से जल्दी श्वास लें। अब नथुनों को खुला रखकर संभव हो सके उतने गहरे श्वास लेकर नाभि तक के प्रदेश को श्वास से भर दें। इसके बाद एकाध मिनट कुंभक करके बाँयें नथुने से श्वास धीरे-धीरे छोड़ें। ऐसे दस ऊर्जायी प्राणायाम करें। प्राणायाम के लाभ इससे पेट का शूल, वीर्यविकार, स्वप्नदोष, प्रदर रोग जैसे धातु संबंधी रोग मिटते हैं।
प्राणायाम के चमत्कारी लाभ: शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य का रहस्य
प्राणायाम एक प्राचीन योगिक अभ्यास है जो हमारे श्वास को नियंत्रित करके शरीर, मन और आत्मा के संतुलन को सुधारता है। यह न केवल शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है, बल्कि मानसिक शांति और आत्मिक उन्नति के लिए भी अत्यंत प्रभावशाली माना गया है।
दैनिक प्राणायाम अभ्यास नियमित प्राणायाम से फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ती है, रक्तसंचार बेहतर होता है, और हृदय स्वस्थ रहता है। यह तनाव, चिंता और अवसाद जैसे मानसिक विकारों को भी दूर करने में मदद करता है। खासकर अनुलोम-विलोम, भस्त्रिका, कपालभाति और भ्रामरी जैसे प्राणायाम अभ्यास ध्यान और एकाग्रता को बढ़ाते हैं।
प्राणायाम से ऑक्सीजन का स्तर शरीर में संतुलित रहता है, जिससे ऊर्जा का संचार होता है और थकान कम होती है। यह शरीर को विषैले तत्वों से मुक्त करने में भी सहायक होता है। प्राचीन ऋषियों का मानना था कि प्राणायाम आत्मा को शुद्ध करता है और व्यक्ति को आंतरिक शांति प्रदान करता है।
मानसिक स्वास्थ्य के लिए प्राणायाम आज की तेज़ जीवनशैली में प्राणायाम एक सरल, सुलभ और प्रभावी उपाय है जिससे व्यक्ति अपने संपूर्ण स्वास्थ्य को सुधार सकता है। दिन में केवल 15-20 मिनट का अभ्यास भी जीवन में बड़ा परिवर्तन ला सकता है।
10 मिनट प्राणायाम रोज
अनुलोम विलोम प्राणायाम सबसे उत्तम माना जाता है.