वृक्ष और उपचार

प्रसन्नता —  आंतरिक बल वृक्ष और उपचार

बीमार होने  पर हम दवाई  खाते  हैंं  ।

दवाई और कुछ नहीं किसी न  किसी पेड़,  पौधे या जड़ी बूटी का सूक्ष्म रूप है ।

दवाई  को शक्ति शाली बनाने  के लिये भी संकल्प शक्ति का प्रयोग करना चाहिये

आप जो दवाई  खाते   है उस दवाई  के लिफाफे को अपने पूजा के कमरे में रखो   और भगवान  को याद करो आप शांति के सगर है ।  शांति के सागर  है । भगवान  की याद   से  दवाई  शक्तिशाली बन जाती    है ।

आप के यह संकल्प उन सब पौधों को भी जा रहे  हैं  जिन से दवाई

बनी हुई   है ।  इस तरह  उन पौधों से भी तरंगें वापिस  दवाई  में आयेगी ।

आध्यात्मिक  नियम यह कहता  है  कि  किसी भी वस्तु का चाहे  कितना  भी छोटा टुकड़ा  कर दिया जाये,  उस वस्तु से सूक्ष्म में जुड़ा रहता है जिस से वह पैदा हुआ है  । जब इस छोटे से छोटे टुकड़े को हम किसी प्रकार  के संकल्प देते है तो वह उसके स्त्रोत को भी पहुंचते है । इस तरह  दवाई  को संकल्प देने से वह तो  शक्तिशाली बनती  ही है परंतु ब्रह्मांड में उसके पौधे जिस से वह दवाई  बनी है वह भी शक्ति शाली बनते  है ।

अगर आप पूजा  या  साधना के लिये समय नहीं निकाल  सकते है तो आप कहीं  पर भी बैठे हुये या चलते हुये दवाई  को कल्पना  में देखते रहो  और कल्पना  में ईष्ट  को देखते हुये  उस के गुण आप शांति के सागर  है को दोहराते रहो ।  इस से भी दवाई  में यौगिक शक्ति भर रही  है ।  इस विधि से तरंगित दवाई  लेने से आप बहुत  जल्द रोग मुक्त होंगे ।

– जब आप बीमार होते है और अपने डॉक्टर के पास  जाते  है । आंतरिक बल  उस समय भगवान  को याद  करते रहो ।  आंतरिक बल जब डॉक्टर आप को देख रहा  हो उस समय उसे विशेष रूप  से मानसिक तरंगें देते रहो ।  भगवान  डाक्टर की रोग को परखने की शक्ति बढ़ा  देगा और वह सही  और सस्ती दवाई  देगा जिस से आप जल्दी जल्दी ठीक हो जायेंगे

– आप के शरीर के जिस भाग  में रोग है,  आंतरिक बल जो लोग स्वस्थ है उनके उस भाग  पर तरंगें देते  रहा करो ।  खासतौर पर जवान  बच्चों के अंग शक्तिशाली होते है ।  उनके उस भाग  पर तरंगें देने से आप का रोग बहुत  जल्दी ठीक होगा ।

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