मनचाही प्रप्ति और कुदरती नियम

मनचाही प्रप्ति और कुदरती नियम हम जो संकल्प करते हैं, वह तुरंत तरल रूप भी धारण करते रहते है । यह जो हमारे  मुख में थूक बनती रहती है, यही विचारों का तरल रूप है । यह तरल रूप भोजन में मिक्स हो कर शरीर के सभी अंगों को प्रभावित करता है

विचारों का तरल रूप शरीर के सभी  अंगों को प्रभावित करता हुआ शरीर से दो रूप में बाहर  निकलता है । एक है सुगंध या दुर्गंध दूसरा है पसीना। हालाँकि पसीने में विचारों के साथ साथ  शरीर के दूसरे टूटे फूटे बेकार के पदार्थ भी होते हैं ।

अच्छे संकल्प हो तो यह सुगंध के रूप में बाहर  आते हैं । बुरे संकल्प हो तो यह दुर्गन्ध के रूप में फैलते हैं ।

इस दुर्गंध और सुगंध में भी मन के संदेश होते है ।

आदमी सुगंध और दुर्गंध के अनुसार प्रतिक्रिया करता है । आदमी दुर्गंध से दूर भागता है । सुगंध की ओर आकर्षित होता है

कुते,  सांप बिच्छू और अन्य  जानवर बुरे विचारों वाले  व्यक्तियों पर आक्रमण करते है ।  उन्हें  बुरी सोच का पता व्यक्ति की दुर्गंध से चलता  है ।

पूराने  जमाने  में वैद्य लोग रोगी की थूक,  पसीने और आंखों को देख कर बता देते थे कि  इसका खान पान और चरित्र  कैसा है तथा  अभी क्या खा कर आया है । उन्हें  यह भी पता चल जाता  था क़ि  किस अंग में रोग है ।

किसी कमरे में एक घंटा  पहले  कौन था तथा वह वहां  क्या बातें  कर रहे  थे यह पता आज विज्ञान द्वारा  लगाया  जा सकता है ।
    –
-जहां  हम बैठते है हमारे  संकल्प उस स्थान पर उन वस्तुओं और दीवारों पर चिपकते रहते है ।  जहां  हमारें  शरीर के हाथ पैर लगते है वहां  हमारे  संकल्पों से निकला सूक्ष्म तरल रसायन चिपक जाता  है जो जल्दी से मिटता नहीं ।  विज्ञान द्वारा  फिंगर प्रिंट लिये जा सकते है ।

-किसी भी परिस्थिति में संकल्प सात्विक  रखो तो हम दुनिया को बहुत आसानी  से बदल सकते है ।  मनचाही प्रप्ति और कुदरती नियम शुध्द संकल्प से आप जो चाहे  वह पा सकते हैंं ।

-शुध्द संकल्पों के कारण शरीर से जो सुगंध निकलती है वह हरेक को सम्मोहित करती है ।

-ममा को देखते ही बूढ़े भी मां  मां  कहने  लगते थे । हालांकि  ममा की उम्र बहुत छोटी थी ।  यह उसके व्यक्तित्व की सुगंध के कारण  ऐसा होता था ।

-बीन की मधुर  धुन  सुनते ही सांप भागे  चले आते है ।  मनचाही प्रप्ति और कुदरती नियम इस  धुन में जोगी के संकल्पों की खुशबू होती  है जिस से सांप  सम्मोहित हो जाते  है ।

योगी के संकल्पों में ऐसी सुगंध निकलती जिस से सभी अपना वैर  भाव  भूल जाते  हैं

Add comment

Your email address will not be published.

two + six =