ज्योतिष विज्ञान के अनुसार शनि मंगल का योग

शनि और मंगल दोनों ही घोर विरोधी है। शनि कार्य करने में दक्ष है और मंगल को तकनीक में महारथ हासिल है। शनि का रंग काला है तो मंगल का रंग लाल है। दोनो को मिलाने पर कत्थई रंग का निर्माण हो जाता है। कत्थई रंग से सम्बन्ध रखने वाली वस्तुयें जातक को प्रिय होती है जब कुण्डली शनि-मंगल की युति होती है। शनि जमा हुआ ठंडा पदार्थ हैं, तो मंगल गर्म तीखा पदार्थ है, दोनो को मिलाने पर शनि अपने रूप में नही रह पाता है ज्योतिष विज्ञान के अनुसार शनि मंगल का योग जितना तेज मंगल के अन्दर होता है उतना ही शनि ढीला हो जाता है। यह संबंध जातक विशेष को आत्महत्या तक करने पर मजबूर करता हैं।ज्योतिष विज्ञान के अनुसार शनि मंगल का योग  शनि मंगल का संबंध सच मे ही एक विध्वंशक संबंध हैं जो कुंडली मे जातक विशेष के अतिरिक्त धरती पर भी अपना विध्वंशक प्रभाव ही देता हैं।

शनि मंगल का योग

कुंडली में शनि मंगल का योग करियर के लिए संघर्ष देने वाला होता है करियर की स्थिरता में बहुत समय लगता है और व्यक्ति को बहुत अधिक पुरुषार्थ करने पर ही करियर में सफलता मिलती है। शनि मंगल का योग व्यक्ति को तकनीकी कार्यों जैसे इंजीनियरिंग आदि में प्रगति कराता है। यह योग कुंडली के शुभ भावों में होने पर व्यक्ति पुरुषार्थ से अपनी तकनीकी प्रतिभाओं के द्वारा सफलता पाता है। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार शनि मंगल का योग शनि मंगल का योग यदि कुंडली के छठे या आठवे भाव में हो तो स्वास्थ में कष्ट उत्पन्न करता है शनि मंगल का योग विशेष रूप से पाचनतंत्र की समस्या, जॉइंट्स पेन और एक्सीडेंट जैसी समस्याएं देता है। कुंडली में बलवान शनि सुखकारी तथा निर्बल या पीड़ित शनि कष्टकारक और दुखदायी होता है। इन विपरीत स्वभाव वाले ग्रहों का योग स्वभावतः भाव स्थिति संबंधी उथल-पुथल पैदा करता है।

मंगल दोष

सभी ज्योतिष ग्रंथों में इस योग का फल बुरा ही बताया गया है। कुछ आचार्यों ने इसे ‘द्वंद्व योग’ की संज्ञा दी है। ‘द्वंद्व’ का अर्थ है लड़ाई। यह योग लग्न, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम या द्वादश भाव में होने पर मंगल दोष को अधिक अमंगलकारी बनाता है जिसके फलस्वरूप जातक के जीवन में विवाह संबंधी कठिनाइयां आती हैं। विवाह के रिश्ते टूटते हैं, विवाह देर से होता है, विवाहोत्तर जीवन अशांत रहता है, ज्योतिष विज्ञान के अनुसार शनि मंगल का योग तथा विवाह विच्छेद तक की स्थिति पैदा हो जाती है। लग्न में शनि-मंगल के होने से जातक अहंकारी व सनकी हो जाता है। जिस कारण वह अपने जीवन में हमेशा ऊट-पटांग निर्णय लेकर अपने जीवन को बर्बाद कर लेता है।

Add comment

Your email address will not be published.

five × 4 =