नकरात्मक दृष्टिकोण- “कोसने की आदत”
एक नकरात्मक दृष्टिकोण की आदत मेंढक एक तालाब के पास से गुजर रहा था,. तभी उसे किसी की दर्द भरी आवाज़ सुनाई दी।.
उसने रुक के देखा तो दूसरा मेंढक उदास बैठा हुआ था .
” क्या हुआ , तुम इतने उदास क्यों हो ?” , पहले मेंढक ने पुछा .
” देखते नहीं ये तालाब कितना गन्दा है …यहाँ ज़िन्दगी कितनी कठिन है ,” दूसरे मेंढक ने बोलना शुरू किया , “पहले यहाँ इतने सारे कीड़े-मकौड़े हुआ करते थे …पर अब मुश्किल से ही कुछ खाने को मिल पाता है …अब तो भूखों मरने की नौबत आ गयी है .”
पहला मेंढक बोला , ” मैं करीब के ही एक तालाब में रहता हूँ , वो साफ़ है और वहां बहुत सारे कीड़े -मकौड़े भी मौजूद हैं , आओ तुम भी वहीँ चलो .”
”काश यहाँ पर ही खूब सारे कीड़े होते तो मुझे हिलना नहीं पड़ता .”, ” दूसरा मेंढक मायूस होते हुए बोला .
पहले ने समझाया , “लेकिन अगर तुम वहां चलते हो तो तुम पेट भर के कीड़े खा सकते हो !”
”काश मेरी जीभ इतनी लम्बी होती कि मैं यहीं बैठे -बैठे दूर -दूर तक के कीड़े पकड़ पाता …और मुझे यहाँ से हिलना नहीं पड़ता ..”, दूसरा हताश होते हुए बोला .
पहले ने फिर से समझाया , ” ये तो तुम भी जानते हो कि तुम्हारी जीभ कभी इतनी लम्बी नहीं हो सकती , इसलिए बेकार की बातें सोच कर परेशान होने से अच्छा है वो करो जो तुम्हारे हाथ में है …चलो उठो और मेरे साथ चलो ..”
अभी वे बात कर ही रहे थे कि एक बड़ा सा बगुला तालाब के किनारे आकर बैठ गया .
“वाह , अभी मुसीबत कम थी क्या कि ये बगुला मुझे खाने आ गया …अब तो मेरी मौत निश्चित है …” , दूसरा मेंढक लगभग रोते हुए बोला .
“घबराओ मत जल्दी करो मेरे साथ चलो , वहां कोई बगुला नहीं आता …”, पहले ने कूदते हुए बोला .
दूसरा मेंढक उसे जाते हुए देख ही रहा था कि बगुले ने उसे अपनी चोंच में दबा लिया …मरते हुए दूसरे मेंढक मन ही मन सोच रहा था कि बाकि मेंढक कितने लकी हैं !
बहुत से लोग दूसरे मेंढक की तरह होते हैं , नकरात्मक दृष्टिकोण की आदत वे अपनी मौजूदा परिस्थिति से खुश नहीं होते, पर वे उसे बदलने के लिए हिलना तक नहीं चाहते.. वे अपनी नौकरी ,नकरात्मक दृष्टिकोण की आदत अपने व्यापार , अपने माहौल , हर किसी चीज के बारे में शिकायत करते हैं नकरात्मक दृष्टिकोण की आदत …कमियां निकालते हैं पर उसे बदलने का कोई प्रयास नहीं करते और हैरानी की बात ये है कि वे खुद भी जानते हैं कि ये चीजें उनके जीवन को कैसे बदल सकती है ; पर वे कोई प्रयास नहीं करते …और एक दिन बस ऐसे ही, सस्ते में दुनिया से चले जाते हैं।नकरात्मक दृष्टिकोण की आदत मेंढक की तरह टर्र टर्र करते हुए
Add comment