दमा अस्थमा रोग के ज्योतिष लक्षण व उपाय
जन्मपत्री का तीसरा भाव / भावपति मिथुन राशि अथवा बुद्ध ग्रह के साथ ” लग्न भाव ” या चंद्र ग्रह पर पापी क्रूर ग्रह नींच नवांश के ग्रहों की पूर्ण दृस्टि ही कारण है। कुंडली में मेष लग्न में या कर्क राशि में शनि ग्रह राहु ग्रह सूर्य देव अथवा मंगल ग्रह विराजमान हो और कुंडली के अष्ठम भाव में नींच के चंद्र राहु सूर्य विराजमान …….!
अस्थमा (दमा) (ग्रीक शब्द ἅσθμα, ásthma, “panting” से) श्वसन मार्ग का एक आम जीर्ण सूजन disease वाला रोग है जिसे चर व आवर्ती लक्षणों, प्रतिवर्ती श्वसन बाधा और श्वसनी-आकर्षसे पहचाना जाता है। दमा अस्थमा रोग के ज्योतिष लक्षण व उपाय आम लक्षणों में घरघराहट, खांसी, सीने में जकड़न और श्वसन में समस्याशामिल हैं। दमा को आनुवांशिक और पर्यावरणीय कारकों का संयोजन माना जाता है। दमा अस्थमा रोग के ज्योतिष लक्षण व उपाय इसका निदान सामान्यतया लक्षणों के प्रतिरूप, समय के साथ उपचार के प्रति प्रतिक्रिया और स्पाइरोमेट्रीपर आधारित होता है। यह चिकित्सीय रूप से लक्षणों की आवृत्ति, एक सेकेन्ड में बलपूर्वक निःश्वसन मात्रा (FEV1) और शिखर निःश्वास प्रवाह दर के आधार पर वर्गीकृत है। दमे को अटॉपिक (वाह्य) या गैर-अटॉपिक (भीतरी) की तरह भी वर्गीकृत किया जाता है[7] जहां पर अटॉपी को टाइप 1 अतिसंवेदनशीलता प्रतिक्रियाओं के विकास की ओर पहले से अनुकूलित रूप में सन्दर्भित किया गया है।[8]
लोगों में दमा एलर्जन्स के कारण होता है। ये एलर्जन्स कुछ भी हो सकते हैं जैसे फूलों के परागकण, धूल, धुआं या कोई रसायन आदि। ये एलर्जन्स हवा में तैरते हैं और मौसमी तौर पर उत्पन्न होते हैं। गैर मौसमी एलर्जन्स पंखों तथा अन्य धूल भरे स्थानों में पाए जाते हैं। जिन लोगों की वायुनली काफी संवेदनशील होती है। उनमें से किसी भी गैर−विशिष्ट किस्म के उत्प्रेरक की उपस्थिति में वह (वायुनली) सक्रिय हो उठती है और दमा उभर आता है। ये उत्प्रेरक कई हो सकते हैं।
ज्योतिष में दमा का संबंध चंद्रमाए शनि, बुध आदि ग्रहों के साथ स्थापित किया जाता है।
जब किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली का तृतीय भाव, तृतीयेश, दमा अस्थमा रोग के ज्योतिष लक्षण व उपाय मिथुन राशि और बुध के साथ-साथ लग्न भाव एंव चन्द्रमा के ऊपर पर्याप्त पापी एंव कू्र ग्रहों के अशुभ प्रभाव पडते है, तो उन लोगों को प्रतिकूल ग्रहों की दशाऽन्तर्दशा अथवा गोचर के दौरान दमा संबंधी गंभीर समस्याएं झेलनी पडती है। यदि उपरोक्त कारकों के साथ बुध एंव चन्द्रमा के ऊपर भी राहू की युति बन जाए, तो व्यक्ति का दमा और भी गंभीर बन जाता है।
सिंह अथवा धनु लग्न में नीच चन्द्रमा, राहु अथवा शनि के साथ बैठे, दमा अस्थमा रोग के ज्योतिष लक्षण व उपाय धनु लग्न में चतुर्थ भाव में चन्द्रमा, शनि और राहु एक साथ युति बनाकर बैठे, तो भी इन लोगों में अस्थमा की संभावना बढ जाती है।
जन्मकं कुण्डली में बुध नीच या अस्तगत् होकर शनि-केतु के साथ अपनी नीच राशि अथवा 3, 4, 8, 12 वें भाव में जाकर बैठ जाए, तो भी अस्थमा रोग की संभावना रहती है।
दरअसल अस्थमा रोग का संबंध चन्द्रमा के साथ गहराई से जुडा है। दमा अस्थमा रोग के ज्योतिष लक्षण व उपाय ज्योतिष में चन्द्रमा को मन, शीतलता, उद्वेग, मधुरता, कफ आदि का कारक माना है। दमा रोग का संबंध भी एक तरह कफ, शीतलता आदि के साथ ही रहता है। अस्थमा के संबंध में एक बात और देखी गई है। अस्थमा सोमवार एंव बुधवार केन्द्रित तथा अमावस्या के दिन, 15 जनवरी से 15 फरवरी, 15 सितंबर से 15 अक्टूबर, 15 नवंबर से 15 दिसंबर तक अधिक परेशान करता है। चन्द्र ग्रहण के आसपास भी अस्थमा के दौरा पडने की संभावना एकाएक बढ जाती है।
निवारण के लिए क्या करें Asthma Treatment By Astrology In Hindi
- मोती, मिश्री, दही, सफेद कपड़ा, सफेद फूल, शंख, चांदी, चावल, दूध, सफेद बैल आदि अपनी क्षमतानुसार सोमवार के दिन दान करें।
- चंद्र मंत्र ओम श्रां श्रीं श्रौं स: चंद्राय नम: का नियमित जाप करें।
- योग्य एस्ट्रोलॉजर से अपनी कुंडली समाधान लें
हर बीमारी का संबंध किसी न किसी ग्रह से है, दमा अस्थमा रोग के ज्योतिष लक्षण व उपाय जो आपकी कुंडली में या तो कमजोर है, या फिर दूसरे ग्रहों से बुरी तरह पीड़ित है। इसी प्रकार काल पुरुष की कुंडली में मनुष्य शरीर के सभी अंगों को 12 भावों में बांटा गया है। दमा अस्थमा रोग के ज्योतिष लक्षण व उपाय इन 12 भावों में कालपुरुष की 12 राशियां आती हैं जिनके स्वामी 7 ग्रह हैं तथा छाया ग्रहों राहु-केतु के प्रभाव भी अति महत्वपूर्ण हैं। दमा अस्थमा रोग के ज्योतिष लक्षण व उपाय साथ ही 27 नक्षत्रों का प्रभाव भी मनुष्य शरीर के सभी अंगों पर बराबर बना रहता है। इनके स्वामी ग्रह भी ये ही 7 ग्रह हैं अर्थात् सारांश रूप से यह कह सकते हैं कि शरीर के सभी अंगों को 12 भाव/राशियां, 9 ग्रह व 27 नक्षत्र संचालित करते हैं!!
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