जानिए शरद पूर्णिमा की खीर केवल खीर नहीं औषधि होती है।
शरद पूर्णिमा की खीर धार्मिक दृष्टि से शरद पूर्णिमा के दिन का बहुत महत्व है। यह दिन स्वास्थ्य, धन, संपदा, शुभ कार्य, धार्मिक भावना सहित अन्य रूप से शुभ दिवस होता है। इसी दिन को कोजागरी पूर्णिमा और रास पूर्णिमा भी कहा जाता है।
कहा जाता है आश्विन शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली इस पूर्णिमा के दिन अमृत की वर्षा होती है। इस दिन चंद्रमा हल्के नीले रंग का दिखाई देता है। इस दिन रात को खीर बनाकर चंद्रमा को खीर में देखा जाता है मतलब खीर को हल्के सूती वस्त्र से ढककर खुले आसमान में रख दें और फिर उसका सुबह में सेवन किया जाता है। इसका सेवन करने से कई प्रकार के रोगों से निजात मिलती है या रोगों का असर कम होता है।
विद्वानों की मानें तो इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं का होता है और इससे निकलने वाली किरणें अमृत समान मानी जाती है। शरद पूर्णिमा की खीर इसीलिए खीर में चंद्रमा की किरणें पड़ने से यह कई गुना लाभकारी हो जाती है। अत: दूध या खीर को चंद्रमा के प्रकाश में रखकर इसका सेवन किया जाता है।
इस संबंध में यह भी माना जाता है कि किसी दिव्य औषधि को खीर में मिलाकर शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों में रखने से उसके औषधीय गुण तो कई गुना बढ़ ही जाते हैं, शरद पूर्णिमा की खीर इसके अलावा दूध में भरपूर मात्रा में पाया जाने वाला लैक्टिक एसिड, चांद की किरणों से मिलने वाला अमृत तत्व तथा चावलों में पाए जाने वाला स्टार्च के कारण यह खीर शरीर के लिए काफी फायदेमंद होती है।
चांदी के बर्तन में रोग-प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। अत: यदि खीर को चांदी के बर्तन में भरकर शरद पूर्णिमा की रात बाहर खुले आसमान में रखा जाए तो वो और भी अधिक लाभदायी होती है।
पात्र के रूप में कोई चांदी के सिक्के, चममच कटोरी ले सकते हैं
दूध देशी गौ माता से प्रसन्नता पूर्वक लिया गया हो
शरद पूर्णिमा पर सेहत के लाभ-
- दमा- दमा रोग से पीड़ित मरीजों को शरद पूनम की खीर का सेवन जरूर करना चाहिए। शरद पूर्णिमा की खीर इस खीर को चांद की रोशनी में रखकर सुबह 4 बजे इसका सेवन करने की सलाह दी जाती है। सालभर में शरद पूनम का दिन दमा रोगियों के लिए अमृत के समान माना जाता है।
- आंखों की रोशनी- शरद पूनम के रात्रि खीर का सेवन तो किया जाता है। साथ ही चांद की रोशनी में 100 बार सुई में धागा पिरोने की परंपरा भी है। कहा जाता है ऐसा करने से आंखों की रोशनी तेज होती है। इस दिन खीर का सेवन करने से आंखों से संबंधित परेशानी दूर होती है। चंद्रमा को एकटक देखने पर आंखों की रोशनी बढ़ती है।
- स्किन समस्या- शरद पूनम की रात को चंद्रमा घुली हुई खीर खाने से चर्म रोग में आराम मिलता है। स्किन समस्या से जूझ रहे हैं तो इस दूध का सेवन करें। स्किन केयर के साथ त्वचा का ग्लो भी बढ़ जाता है।
- दिल का रखें ख्याल- हृदय रोगियों के लिए भी यह खीर का सेवन करना फायदेमंद होता है। इस दिन खासकर चांदी के बर्तन में खीर या दूध रखना चाहिए। जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है और विषाणु भी दूर होते हैं। साथ ही उक्त रक्तचाप में भी आराम मिलता है।
- मलेरिया- इन दिनों मौसम ठंडा-गरम होने पर मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ जाता है, जिससे मलेरिया का खतरा होता है। हालांकि बैक्टीरिया उपयुक्त वातावरण में पनपते हैं। लेकिन बैक्टीरिया जब पित्त के संपर्क में आते हैं तो वह धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैलने लगता है। शरद पूर्णिमा की खीर पित्त को नियंत्रित करना जरूरी होता है जिससे मलेरिया की चपेट में आने से बच सकते हैं।शरद पूर्णिमा की खीर इसलिए इस मौसम में खीर को खाने की परंपरा है।
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