अमीर कैसे बने
दिव्य शक्तियां दिमाग में सोई रहती हैं । ये जागृत नहीं होती जब तक पढ़ने लिखने की जटिल प्रक्रिया से न गुजरा जाये । पढ़ने लिखने से हमारे दिमाग में ऐसे हार्मोन पैदा होते है जो बौद्विक शक्तियों को जागृत कर देते हैं ।
जब हमें मखन (घी ) निकलना हो तो दही को बिलोना पड़ता । ऐसे ही अगर हमें आध्यात्मिक शक्तियां प्राप्त करनी हो तो पढ़ना-लिखना रूपी मधानी प्रयोग करनी पड़ती है ।
योगी भी अगर पढ़ने लिखने का कार्य नहीं करेगा तो वह उच्च दिव्य शक्ति सम्पन्न नहीं बनेगा । सिर्फ योग लगाता है और नई चीजे नहीं पढता तो उसका आन्तरिक विकास रुक जायेगा ।
जिस समय हम लिखते है तो हमारा दिमाग अलग ढंग से सोचने लगता है । अमीर कैसे बने जब कि खाली समय कुछ न कुछ व्यर्थ आता रहता है ।
जो लोग सिर्फ सत्संग सुनते है,वीडियो देखते है, ऑडियो सुनते है और नाम मात्र पाठ की तरह मुरली पढ़ते है तो उन व्यक्तियों के दिमाग का विकास अलग ढंग से होता है । ऐसे लोग लकीर के फकीर होते है । सिर्फ मुरली ही पढ़नी है । अमीर कैसे बने सिर्फ गीता ही पढ़नी है । सिर्फ कुरान ही पढ़ना है ।
ऐसे लोग परिवर्तन का विरोध करते है । अमीर कैसे बने उनका लक्ष्य नये सत्य खोजना या परम्परा को चुनौती देना नहीं होता, बल्कि इसे सुरक्षित रखना होता है ।
ऐसे लोग उन मानसिक उपायों को सीख लेते है, जिनसे अगली पीढियों तक अपनी संस्कृति को हस्तांतरित कर सके ।
मौखिक संस्कृति वाले लोगो की ज्यादातर बाते सूचियों, दोहराव, तुकबंदी, सूक्तियों, पुरानी कहावतों और बहादुर पूर्वजों की कहानीयों पर निर्भर होती है । ऐसे लोग खुद महान नहीं बनते सिर्फ महान लोगों के गुण गाते रहते है । हमारे पूर्वज ऐसे थे वैसे थे । ऐसे लोग कट्टरवादी होते है ।
-जब हम कोई बुक पढ़ते है तो विश्लेषण करते रहते है । हम लेखक के साथ सहमत या असहमत होते रहते है । हम आलोचना कर रहे होते है, मूल्यांकन कर रहे होते है, तुलना कर रहे होते है, चुनौती दे रहे होते है या स्पष्टीकरण दे रहे होते है । जो लोग नहीं पढ़ते वे इस प्रकार के मानसिक कसरत के झंझट में नहीं पड़ते और उन्हे सूक्ष्म शक्तियां प्राप्त नहीं होती ।
-केवल और केवल पढ़ने से हमारे मस्तिष्क की छिपी शक्तियां सक्रिय होती है । जब हम पढ़ते लिखते हैं तो तुरंत मन में स्थित ऐसे केन्द्र से काम करने लगते है, जिन से हमें उन मानसिक कार्यों को करने की शक्ति मिल जाती है, जिन्हे हम पहले नहीं कर सकते थे । फलस्वरूप हम अपनी मानवीय संभावना का अधिक दोहन कर सकते है । और जब हम अंदरूनी ईश्वर प्रदत्त क्षमता का अधिक इस्तेमाल करते है, तो समझ लीजिये हम ज्यादा समृध्द हो रहे है, अमीर बन रहे है ।
–यह जो मनुष्य को आलस्य आता है, काम टालने की आदत है, ईर्ष्या की आदत है, उत्साह से हीन रहने की आदत है, दूसरो को आगे बढ़ने से रोकने की आदत है, व्यर्थ विचारो की आदत है, पच्छाताप की आदत है, कुढने की आदत है, ये एक विशेष हार्मोन की कमी के कारण होता है । यह हार्मोन सिर्फ और सिर्फ हर रोज़ नया पढ़ने-लिखने और निरंतर योग से उत्पन्न होता है ।
-विपरीत लिंग के आकर्षण का कारण भी एक अति सूक्ष्म बल की कमी से होता है । इसे जीतने का बल हमें पढ़ने-लिखने और ध्यान साधना के बेलेन्स से प्राप्त होता है । अगर इन तीनो का बेलेन्स नहीं होगा तो ये आकर्षण होता रहेगा ।अमीर कैसे बने जब भी आकर्षण का सूक्ष्म में खिंचाव हो तुरंत समझो तीनो में से कोई एक पलडा कमजोर हो गया है । तुरंत उसे ठीक करो । समस्याओं या काम के रोने नहीं रोते रहो । आप सब भगवान की सन्तानें है । अमीर कैसे बने भगवान के सूक्ष्म रहस्यों को खोजते रहो सिर्फ रटते मत रहो बाबा मिला सब कुछ मिला, पाना था सो पा लिया ।
-अलौकिक शक्तियों का रास्ता ध्यान के साथ साथ निरंतर पढ़ने लिखने से ही खुलता है । अमीर कैसे बने यही रहस्य है । इसी रास्ते से व्यक्ति अमीर भी बनता है ।
-पढ़े और अमीर बनने का अर्थ क्या है ? अमीर कैसे बने सुने और अमीर बने नहीं । बोले और अमीर बने नहीं । बल्कि पढ़े और अमीर बने । पढ़ोगे लिखोगे बनोगे नवाब ।
You could certainly see your expertise in the work you write.
The arena hopes for more passionate writers like you who are not afraid to say how they believe.
Always go after your heart.