अवचेतन मन को जागृत कैसे करें

आज्ञा चक्र — अवचेतन मन –Part-9-अवचेतन मन को जागृत कैसे करें  ?

नियम – 6

एकाग्रता

लेंस में से सूर्य प्रकाश गुजारने  पर कागज जलने लगता है ।

एक लीटर पेट्रोल  को हम यू ही उंडेल  दे तो उस से कुछ  नहीं होगा ।अवचेतन मन को जागृत कैसे करें  यदि उसी तेल को गाड़ी में डाल दिया जाये  तो एक लिटर से हम 80 किलोमीटर  की  यात्रा  कर सकते हैं ।

यह दर्शाता  है कि  एकाग्रता से शक्ति  उत्पन्न होती  है ।

शक्ति बल का सूचक है।  आध्यात्मिक बल, बौद्धिक शक्ति, नैतिक बल, मानसिक बल, शारीरिक बल, प्राण शक्ति आदि मुख्य बल कहलाते है ।

संसार ने आध्यात्मिक बल को ही सर्वोच्च बल स्वीकार किया है और इस बल या सम्पूर्ण बलों का एकमात्र केन्द्र आत्मा या परमात्मा है ।

मानव-जीवन का प्रधान  संचालन  से  मन-बुद्धि के द्वारा ही हम होते देखते हैं, अवचेतन मन को जागृत कैसे करें इसीलिये मनोबल पर ही  विचार करने की जरूरत है़ ।

मन  में ये बल कहां से और कैसे आते हैं ?

एकाग्रता से मन में शक्ति आती है। विचार करने से लगता है अवचेतन मन को जागृत कैसे करें कि  एकाग्रता की दशा में अवश्य ही शक्ति, या शक्तियों का प्रवेश मन में होने लगता है, किन्तु इससे यह पता नहीं लगता कि इसका केन्द्र भी मनः स्तर ही है।

एकाग्र स्थिति में होता यही है कि मानसिक चेतना की बिखरी हुई शक्तियाँ एकत्रित और एकीभूत होकर एक बड़ी और विशाल मानसिक शक्ति बन जाती है ।

मन की एकाग्र दशा में उसका बल अवश्य ही बढ़ने लगता है। जितना ही अधिक मन  एकाग्र होता है उतना ही अधिक बलशाली होता जाता है, ऐसा अनेकों का अनुभव है।

 जितना मन बिखरता है—विभिन्न इच्छाओं-विचारों और कामनाओं का संचरण और गति करता है, उतना ही यह निर्बल और क्षीण शक्ति  वाला होता जाता है।

मन को स्थिर और शान्त रखने में असमर्थ व्यक्ति किसी काम को लगन के साथ नहीं कर पाते।

वह जो कुछ काम करता है खण्डित मन से करता है। मन की चंचल गति उस कार्य की सफलता पर विश्वास नहीं करने देती। परिणाम यह  होता है कि कार्य की विफलता के साथ ही उसकी शक्ति भी व्यर्थ खर्च हो जाती है और यह असफलता उसकी  शक्तियों को भी क्रमशः क्षीण और निरुत्साहित करता रहता है।

एकाग्र मनोदशा में जो मानसिक बलों की वृद्धि होती है, उस बल का केन्द्र कहाँ है, इसे तो हम साधारण विचार से नहीं देख सकते, पर अनुभव यह कहता है कि मन की एकाग्र और शान्त दशा उसकी बलवृद्धि का कारण है।

मानसिक शक्ति बढ़ाने के दो उपाय हैं:—एक वर्तमान शक्ति को नष्ट होने से रोकना और दूसरा नई शक्ति की प्राप्ति की चेष्टा करना।

–  मानसिक शक्ति का विनाश मन को रचनात्मक काम में लगाने के अभ्यास से रोका जा सकता है।

  • जब मनुष्य किसी कार्य में सफल हो जाता है तो उसका आत्म विश्वास बढ़ जाता है। आत्मविश्वास की वृद्धि, चरित्रनिर्माण का केन्द्र है।
  • जब मनुष्य में ख्याति से दम्भ आ जाता है तो उसकी ख्याति ही उसे खा जाती है। अतएव मनुष्य को सदा रचनात्मक काम में लगे रहना चाहिये। रचनात्मक कार्य वह है, जिससे किसी प्रकार का  अपना और दूसरे लोगों का कल्याण हो, जिसके करने के पश्चात् आत्मग्लानि न होकर आत्म संतुष्टि की अनुभूति हो।

-मानसिक शक्ति की वृद्धि, उसका अपव्यय रोकने से भी होती है।अवचेतन मन को जागृत कैसे करें मानसिक शक्ति का अपव्यय सदा संकल्प-विकल्प को चलते रहने देने से होता है।

-इनको रोकने के लिये किसी शुद्ध  संकल्प को मन में दोहराते रहो ।

  • मानसिक शक्ति का उत्पादन अपने आदर्श पर मनन करने से होता है। अवचेतन मन को जागृत कैसे करें जो मनुष्य जितना ही अधिक अपने आदर्श के विषय में चिन्तन करता है वह उतना ही शक्तिशाली बनता है ।

-मन में जिस व्यक्ति वा वस्तु के बारे सोचते है, उसी से मन शक्ति लेने लगता  है ।

इसलिये कोई न कोई अच्छा  शब्द मन में दोहराते रहो जैसे आत्मा या परमात्मा या कोई इष्ट या कोई फूल या कोई पेड़ या कोई बगीचा  मन मेंं देखते रहें  तो  इस से  से मन एकाग्र रहेगा ।

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