तिल के तेल का प्रयोग तिल का सेवन 10-15 मिनट तक मुँह में रखकर कुल्ला करने से शरीर पुष्ट होता है, होंठ नहीं फटते, कंठ नहीं सूखता, आवाज सुरीली होती है, जबड़ा व हिलते दाँत मजबूत बनते हैं और पायरिया दूर होता है |
50 ग्राम तिल के तेल में १ चम्मच पीसी हुई सोंठ और मटर के दाने बराबर हींग डालकर गर्म किये हुए तेल की मालिश करने से कमर का दर्द, जोड़ों का दर्द, अंगों की जकड़न, लकवा आदि वायु के रोगों में फायदा होता है |
20-25 लहसुन की कलियाँ 250 ग्राम तिल के तेल में डालकर उबालें | तिल के तेल का प्रयोग इस तेल की बूँदे कान में डालने से कान का दर्द दूर होता है |
प्रतिदिन सिर में काले तिल के तेल के औषधीय प्रयोग के शुद्ध तेल से मालिश करने से बाल सदैव मुलायम, काले और घने रहते हैं, बाल असमय सफेद नहीं होते |तिल के तेल का प्रयोग
50 मि.ली. तिल के तेल में 50 मि.ली. अदरक का रस मिला के इतना उबालें कि सिर्फ तेल रह जाय | तिल के तेल के औषधीय प्रयोग इस तेल से मालिश करने से वायुजन्य जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है |
तिल के तेल के औषधीय प्रयोग में सेंधा नमक मिलाकर कुल्ले करने से दाँतों के हिलने में लाभ होता है |
घाव आदि पर तिल का तेल लगाने से वे जल्दी भर जाते हैं |
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